लेखनी कहानी -10-Jun-2024
शीर्षक - प्रेम परीक्षा
हम सभी जानते हैं। की जीवन में हर समय हर क्षेत्र में परीक्षा होती है तब हम प्रेम परीक्षा में क्यों पीछे रह जाते हैं प्रेम परीक्षा जीवन का वह क्षेत्र है। और हम सभी जीवन में बहन से मांँ से पत्नी से और प्रेमिका से सभी रिश्तों में हम सभी को परीक्षा देनी पड़ती है।
राजू एक अच्छे परिवार का लड़का था और उसके परिवार में सभी एक साथ रहते थे आज की आधुनिक युग में एक साथ रहने का प्रचलन बहुत कम होता जा रहा है परंतु राजू का परिवार अपने चाचा भतीजे ताई ताऊ सभी रिश्तों के साथ साथ सभी में एक दूसरे के लिए प्रेम परीक्षा का भी मन रहता था। प्रेम परीक्षा केवल प्रेम की और प्रेमिका के लिए नहीं होती प्रेम परीक्षा तो हमारे रिश्तों में कभी भी कहीं भी हो सकती है जीवन के प्रसंग में हम सभी को इस दौर से जरूर गुजरना पड़ता है और अगर हम मानवता के साथ एक इंसान है तो हम इस परीक्षा में मतलब प्रेम परीक्षा में सफल होने के लिए बहुत कुछ त्याग और बलिदान भी करना पड़ता है ऐसे ही कुछ राजू के साथ था।
राजू जी कॉलेज में पढ़ता था इस कॉलेज अनीता भी पड़ती थी जो कि राजू की आसपास के गांव की जमीदार की बेटी थी और अनीता धन संपत्ति के मामले में अपने परिवार की एक इकलौती बेटी की राजू और अनीता में बहुत प्रेम था और दोनों ना जाने अपनी प्रेम परीक्षा के लिए कितने सपने देखा करते थे। और अनीता राजू सिंह अपनी प्रेम के लिए जीने मरने की कसमे भी ले ले ती थी। राजू प्रेम परीक्षा में अनीता के लिए कुछ भी करने को तैयार था क्योंकि यह उम्र का ऐसा बंधन और मन होता है जहां हम अपनी प्रेम परीक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।
कॉलेज की परीक्षाएं खत्म हो चुकी थी और राजू और अनीता ने अपनी अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी अब अनीता रहती है राजू से अब तुम्हारी प्रेम परीक्षा की घड़ी है राजू आनीता से कहता है हम इस प्रेम परीक्षा में सफल होकर दिखाएंगे। और तुमको ही अपने जीवन की संगिनी बनाएंगे ऐसा कहकर राजू अपने घर की ओर चल देता है और पढ़ाई पूरी होने के साथ-साथ उसके घर परिवार में सभी लोग राजू से कहते हैं अब तुम राजू हमारे घर के व्यापार में हाथ बटाओ। राजू जी अपने घर के लोगों के साथ काम में व्यस्त हो जाता है और इधर राजू की ताऊ जी अपने ही गांव की एक लड़की सुनीता से राजू का रिश्ता पक्का कर देते हैं और राजू से कहते हैं राजू हमने तुम्हारा रिश्ता अपने ही गांव की दोस्त की बेटी सुनीता से तय कर दिया है और अब तुम्हें हमारे वचन की लाज रखती है राजू ताऊ जी की बात सुनकर चुप रह जाता है और ताऊ जी की सामने घर के सभी सदस्य चुप रहकर हां भरते हैं।
ताऊ जी कहते हैं राजू कल तुम्हें सुनीता के घर हमारे साथ लड़की देखने चलना है राजू कहता है ताऊजी जब आपने लड़की देख ली है तब मुझे देखने की क्या जरूरत है बताओ जी राजू पीठ थपथपाते हैं और राजू से कहते हैं हमें अपने परिवार पर पूरा भरोसा है। बेचारा राजू मन ही मन अनीता की प्रेम की बलि दे देता है। प्रेम परीक्षा में उसके परिवार के लोग बात और जवान की खातिर राजू की मनपसंद लड़की से ब्याह कर लेता है। और अपनी प्रेम परीक्षा में अनीता को भूल जाता है।
समय बीतता है और सुनीता राजू की परिवार की वृद्धि होती है और सुनीता राजू की घर में एक सुंदर बेटी जन्म लेती है। और समय के साथ-साथ राजू और सुनीता अपनी बेटी के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए शहर चले जाते हैं। समय के साथ-साथ प्रेम परीक्षा के लिए अनीता ने भी बहुत इंतजार कर उसके भी माता-पिता ने उसकी शादी शहर में एक डॉक्टर के साथ कर दी आज शहर में राजू अपना व्यापार बढ़ाने आया था उसे शहर में अनीता जी अपनी पति के साथ एक बेटे की मां बनकर जीवन व्यतीत कर रही थी।
प्रेम परीक्षा के साथ-साथ प्रेम अपने जीवन की कसौटी भी बदलता है और समय के साथ-साथ राजू और अनीता के बेटा बेटी दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं और राजू की बेटी अनीता के बेटे से प्रेम करती है और दोनों प्रेम परीक्षा में आधुनिक समय के साथ-साथ तन मन से सारी हदें पार कर देते हैं। प्रेम परीक्षा में राजू की बेटी सोनी और अनीता का बेटा सोहन दोनों एक दूसरे को बेहद चाहते थे। जब सोहन को मालूम होता है सोनी मेरे बच्चे की मां बनने वाली है। सोहन अपनी मां अनीता से कहता है। कि वह सोनी से ही विवाह करेगा अनीता भी इस बात के लिए तैयार हो जाती है और तुम राजू के घर पहुंच जाती है अनीता और राजू एक दूसरे को देखकर चौंक जाते है।
अनीता और राजू के बीच में जब बात होती है तो अनीता और राजू एक दूसरे को चाहत भरी नजरों से देखकर कहते हैं हम तो मिल ना पाए प्रेम परीक्षा में परंतु आज की आधुनिक युग में हमारे बच्चों ने प्रेम परीक्षा पास कर ली है। अनीता और राजू आज भी एक दूसरे को मन भाव में प्रेम करते हैं और राजू और अनीता अपना बेटी बेटी की शादी धूमधाम से कर देती है और दोनों की प्रेम परीक्षा को सफल कर देते हैं।
प्रेम परीक्षा में सदा एक दूसरे का बलिदान और त्यागी होता है ना कि हम प्रेम करने वाले को धोखा या छल फरेब देते है। सच तो राजू और अनीता की प्रेम परीक्षा थी जिसको समय के साथ-साथ उनके बच्चों ने अंजाम दिया यह भी एक इत्तेफाक और कुदरत का करिश्मा है प्रेम परीक्षा समय के साथ जीवन में दोहराई गई और प्रेम परीक्षा सफल हुई। सच यही प्रेम परीक्षा है।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र